स्वप्नदोष (emission) wet dreams
- स्वप्न दोष को हम नाइट फाल नाइट भी कहते हैं स्वप्नदोष एक स्वाभाविक शारीरिक क्रिया है
- रात को सोते समय सपने में वीर्य का निकल जाना ही स्वप्नदोष कहलाता है
- आधुनिक शिक्षित समाज में यह दोष अधिक तीव्र गति से फैल रहा है
- स्वप्नदोष अपने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी 80% नवयुवक स्वप्नदोष के शिकार होते हैं
- स्वप्नदोष को एक रोग के रूप में देखा जाता है जबकि यौन विशेषज्ञ स्वप्नदोष को साधारण प्राकृतिक क्रिया मानते हैं
स्वप्न
दोष मुख्य रूप से २ वजहों से होता है
- युवा अवस्था में जब सेक्स अंग परिपक्व् होकर अपना काम प्रारंभ कर देते हैं हारमोंस के बढ़ने पर वीर्य ज्यादा बन ने लगते है इससे शरीर में गर्मी पैदा होती हैऔर वीर्य अपने आप रात में या जरा सी गर्मी होते ही वह स्वप्नदोष द्वारा लिंग के माध्यम से बाहर निकल जाता तो इस प्रकार स्वप्न के अन्दर वीर्य का निकलना स्वप्नदोष कह लाता है
- वहीं युवा अवस्था तथा किशोर अवस्था की ओर अग्रसर होते लड़कों के दिमाग में काम संबंधित भावनाएं उठने लगती है अधिक अश्लील वातावरण फिल्में और पत्र पत्रिकाओं के प्रसार ने युवा लड़के-लड़कियों के मस्तिष्क में उत्तेजना भरना शुरू कर दिया है जब वह रात को सोता है तो उसको सपने में दिन वाली बात याद आने लगती है वह सपने में किसी सुंदर स्त्री के साथ सेक्स संबंध स्थापित करता है स्वप्न में कामोत्तेजना होने से वीर्य निकल जाता है इस तरह वीर्य का निकलना स्वप्नदोष कहलाता है
- प्रारंभ में तो वीर्यपात हो जाने के बाद नींद खुल जाती है लेकिन बाद में जब रोग पुराना हो जाता है तब बिना स्वप्न देखे ही वीर्यपात हो जाता है और नींद भी नहीं खुलती सुबह जागने पर कपड़ो पर वीर्य के लगे हुए दाग देख कर पता चलता है कि रात में स्वप्नदोष हुआ था
- स्वप्नदोष तरुणा अवस्था में होने वाली एक साधारण प्राकृतिक क्रिया है जिसे रोगों के श्रेणी में नहीं माना जाता स्वप्न दोष होने पर किसी तरह का शोक मानना शर्मिंदी महसूस करना अफ़सोस करना या खुद को अपराधी ठहराना ठीक नहीं है क्योकि कभी कभी वीर्य निकलने पर शरीर को कोई हानि नहीं पहुचती
- किंतु दूसरे कारणों से स्वप्नदोष की प्रक्रिया बहुत अधिक बढ़ जाए और सप्ताह में कई बार स्वप्नदोष हो तो निश्चय ही ये रोग की श्रेणी में आता है जिसकी चिकित्सा अति आवश्यक है
- कुछ लोग स्वप्नदोष से इतना निराश हो जाते हैं कि उनका स्वास्थ्य गिरने लगता है उनके चेहरे की रौनक खत्म होती जाती है सिर दर्द थकान तथा कमजोरी आदि की शिकायत उत्पन्न हो जाती है
- लोगों से नजरें मिलाने की हिम्मत उनमें नहीं रहती वे एकांतप्रिय हो जाते हैं खुद को नपुंसक समझ कर आत्महत्या करने का प्रयास भी करते हैं
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